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Showing posts from May, 2022

🥺

 à¤…केला पड़ गया हूँ सफ़र में कोई मेरा साथ नहीं देता इन बेवफाओ पर तो भरोसा ही नहीं रहा अब तो कोई यार भी साथ नहीं लगता

🥺

 à¤…रे लिखावट भी सुधार दूंगा मैं अपनी तुम लिखा हुआ पड़ो तो सही

Dhadkan

 à¤•ियुं इन धड़कनो को संभालना मुश्किल हो जाता है  जब भी इन आँखो को तेरा दीदार हो जाता है

वो मेरा नहीं

 à¤®ैं खामा-खा उस से नाराज़ होता रहता हूँ जब वो मेरा है ही नहीं तो...  मेरे बारे में क्यों सोचे